December 23, 2024

Devsaral Darpan

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उत्तर प्रदेश- राजस्वए पुलिस अफसरों की भू माफियाओं से रिश्ते की करें जांच, दंपती के खिलाफ दर्ज केस रद्द, हाईकोर्ट का आदेश !!

उत्तर प्रदेश;  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दलित उत्पीड़न के झूठे मामले में न्याय के लिए दर- दर भटक रहे दंपति के खिलाफ शुरू की गई अपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। साथ ही पुलिस महानिदेशक को भू माफियाओं से साठगांठ करने वाले राजस्व अधिकारियों और बिहारीगढ़ के तत्कालीन थाना प्रभारी की संलिप्तता की जांच करवाने का आदेश दिया हैं।

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने सहारनपुर की याची अल्का सेठी और उनके पति ध्रुव सेठी की ओर से ट्रायल कोर्ट द्वारा गाली गलौज और एससी/एसटी अधिनियम समेत कई संगीन धाराओं में जारी सम्मन और सम्पूर्ण अपराधिक कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मौजूदा मामले में बिहारीगढ़ थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी, राजस्व निरीक्षक की भू माफियाओं के संलिप्तता जाहिर हो रही है। इसके कारण याची दंपति अनावश्यक न्याय के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर है।

क्या है पूरा मामला : मामला सहारनपुर जिले के बिहारीगढ़ थाना क्षेत्र का है। उत्तराखंड के देहरादून निवासी दंपति अल्का सेठी और ध्रुव सेठी ने सहारनपुर में लोकेश सेठी से पंजीकृत बैनामा के जरिए जमीन खरीदी थी। राजस्व अभिलेखों में सह-खाते दार के रूप में नाम दर्ज होने के बाद हदबंदी के लिए राजस्व अधिकरियों के चक्कर काट रहे थे। इसी बीच लेखपाल वासुदेव ने बिहारीगढ़ थाने में याची दंपत्ति के खिलाफ मारपीट, सरकारी काम मेे बाधा डालने और जातिसूचक गाली गलौज देने समेत विभिन्न संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज करवा दी। पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र दाखिल कर दिया, जिसका संज्ञान लेते हुए ट्रायल कोर्ट ने याची दंपत्ति के खिलाफ समन जारी कर बतौर आराेपी कोर्ट में तलब किया था। इसके खिलाफ उन्हाेंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

याची के अधिवक्ता डा अविनाश त्रिपाठी ने दलील दी कि दौरान विवेचना विवेचनाधिकारी को कथित घटना की विडियों, फोटोग्राफ, कॉल रिकार्डिंग की प्रति याचियों ने पंजीकृत डाक द्वारा प्रेषित किया था। लेकिन इन सबूतों को नजरंदाज कर पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया। जातिसूचक गाली देने के आरोप को सिरे से इंकार करते हुए कहा कि याचियों को लेखपाल की जाति की कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में एससी-एसटी एक्ट लागू नहीं होता। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए दंपत्ति के खिलाफ शुरू हुई अपराधिक कार्यवाही की रद्द कर दिया। कोर्ट ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दंपति की ओर से राजस्व अधिकारियों के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर की विवेचना चार माह में पूरा करने का निर्देश दिया हैं।

 

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