उत्तराखण्ड; उद्यान विभाग में फलदार पौधों की खरीद फरोख्त में आठ करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला पाया गया है। यह रकम पौधों की दरों में मनमाने तरीके से बढ़ोतरी कर सब्सिडी के रूप में इधर से उधर की गई है। यही नहीं एक नर्सरी का तो दूसरे पैन कार्ड पर नया खाता खुला और एकाएक उसमें करीब सवा करोड़ रुपये जमा कर दिए गए। सीबीआई की जांच में इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड पूर्व निदेशक बवेजा और उनका एक नर्सरी चलाने वाला परिचित बताया जा रहा है। तीनों मुदकमों में सीबीआई ने अब विवेचना शुरू कर दी है। इसके आधार पर अब आने वाले समय में कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की गिरफ्तारी भी संभव है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता के संघर्ष से प्रदेश के इस बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया गया था। मामले में स्थानीय स्तर पर एसआईटी का गठन भी किया गया लेकिन हाईकोर्ट के आदेश पर इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई। सीबीआई ने तकरीबन आठ माह तक इसमें प्राथमिक जांच की और दो दिन पहले पूर्व निदेशक एचएस बवेजा समेत 15 नामजद अधिकारियों, कर्मचारियों और नर्सरी संचालकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर लिए। सीबीआई के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पूरा मामला लगभग आठ करोड़ रुपये के घोटाले का है। इस घोटाले को कई तरीके से अंजाम दिया गया है। इसमें प्रमुख रूप से पौधों की वास्तविक दरों में बेतहाशा मनमाने तरीके से वृद्धि की गई। इसके बाद इसी हिसाब से सब्सिडी का भुगतान किया गया। एक-एक नर्सरी को लाखों पौधों का ऑर्डर दिया गया।
इस तरह जिस नर्सरी को केवल 50 लाख रुपये का भुगतान होना था उसे नई दरों के हिसाब से एक करोड़ से सवा करोड़ रुपये तक का भुगतान हुआ। यही नहीं निम्न गुणवत्ता वाले जिन पौधों की दरें विभाग ने ही 150 रुपये तय की थी। उन्हें मनमाने तरीके से 465 रुपये प्रति पौधा की दर से खरीदा गया। इस तरह जम्मू कश्मीर की बरकत एग्रो फार्म नर्सरी को तीन गुना अधिक भुगतान किया गया। बताया जा रहा कि इस पैसे की बंदरबांट अधिकारियों के बीच की गई। यही नहीं तत्कालीन सीएचओ नैनीताल आरके सिंह ने फारुक अहमद डार और साजाद अहमद के साथ मिलकर एक और खेल खेला। इन्होंने सेब के पौधों की झूठी रसीद बनाई और 1.71 करोड़ रुपये नर्सरी को ट्रांसफर कर दिए गए।