उत्तराखण्ड; सीएम धामी को राज्य सचिवालय में इंजीनियरिंग संस्थानों के संबंध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने नन्हीं परी सीमांत इंजीनियरिंग संस्थान के संचालन के लिए पिथौरागढ़ के मड़धूरा में बने भवन में कक्षाओं का संचालन न होने पर नाराजगी जताई। कहा कि इसकी पूरी जांच की जाए कि इंजीनियरिंग संस्थान के लिए जगह का चयन किसने किया था। यह जगह उपयुक्त थी या नहीं। अगर उपयुक्त नहीं थी तो इस स्थान पर इंजीनियरिंग संस्थान क्यों बनाया गया?
उन्होंने सवाल किया कि भवन पर लगभग 15 करोड़ खर्च होने के बाद भी यहां कक्षाओं का संचालन क्यों नहीं हो रहा है? बैठक में बताया गया कि अभी इंजीनियरिंग कॉलेज का संचालन जीआईसी के भवन से हो रहा है। बैठक में तकनीकि शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव डॉ.रंजीत सिन्हा, कुलपति माधो सिंह भंडारी तकनीकि विश्वविद्यालय, प्रो. ओंकार सिंह, अपर सचिव स्वाति भदोरिया एवं इंजीनियरिंग संस्थानों के निदेशक उपस्थित थे।
तय मानकों के अनुसार फैकल्टी की तैनाती हो : सीएम ने कहा कि इंजीनियरिंग संस्थानों को राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने के लिए योग्य फैकल्टी, अवस्थापना, आधुनिक लैब और अन्य सुविधाएं जुटाएं। युवाओं को उद्योग जगत की मांग के अनुसार दक्ष बनाएं। राज्य के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए बेहतर सड़क कनेक्टिविटी भी सुनिश्चित करें। तय मानकों के अनुसार फैकल्टी की तैनाती की जाए।
भर्ती प्रक्रिया और छात्रों के कम पंजीकरण पर नाराजगी जताई : मुख्यमंत्री ने इंजीनियरिंग कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया के लिए बनाई गई व्यवस्था के अनुसार भर्तियां न होने पर नाराजगी व्यक्त की। वह छात्र पंजीकरण की कमी से नाराज थे। कहा कि बच्चों को कैंपस से ही प्लेसमेंट के लिए भी अच्छी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।