December 23, 2024

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भाजपा ने भट्ट को कमान सौंप ऐसे बनाया समीकरण में संतुलन, एक तीर से साधे कई निशाने

उत्तराखंड; भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पूर्व विधायक महेंद्र भट्ट को उत्तराखंड संगठन की बागडोर सौंपकर एक तीर से कई निशाने साधने का काम किया। पार्टी ने भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर क्षेत्रीय व जातीय समीकरण में संतुलन बनाने की कोशिश की। साथ ही चमोली जिले को प्रदेश अध्यक्ष का तोहफा देकर प्रदेश मंत्रिमंडल में जिले को प्रतिनिधित्व न मिलने की कसक को भी पूरा किया।
गढ़वाल क्षेत्र से ब्राह्मण अनुभवी चेहरा होने का महेंद्र भट्ट का पूरा फायदा मिला। वह भी किस्मत के धनी माने जा रहे हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव में हारने के बाद भी केंद्रीय नेतृत्व ने उन पर विश्वास जताया और संगठन के सबसे बड़े पद से नवाजा।
सोशल इंजीनियरिंग के हिसाब से सांगठनिक ताना बाना बनाने में माहिर भाजपा ने पहली बार मैदानी जिले हरिद्वार से प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। 2017 के चुनाव में हरिद्वार जिले में शानदार प्रदर्शन के बाद पार्टी ने यह नया प्रयोग किया था। लेकिन सियासी समीकरण उलट पुलट हो गए।
पहले गढ़वाल क्षेत्र से डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की केंद्रीय मंत्रिमंडल से विदाई हुई। फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी से त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत भी विदा हो गए। कुमाऊं से अजय भट्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली और फिर कुमाऊं मंडल से ही पुष्कर सिंह धामी की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी कर दी गई। हालांकि भाजपा जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों पर बहुत खुलकर बात नहीं करती है, लेकिन सच्चाई यही है कि उसे लंबे समय से गढ़वाल के एक ऐसे ब्राह्मण चेहरे की तलाश थी, जो संघ और संगठन दोनों में तपकर तराशा गया हो।

सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, ज्योति प्रसाद गैरोला, विधायक विनोद चमोली सरीखे नेताओं के बीच महेंद्र भट्ट का नाम भी चर्चाओं में रहा। 2022 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार जिले में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने का दबाव बना। प्रदेश अध्यक्ष कौशिक बेशक अपनी सीट से चुनाव जीते, लेकिन उनके नेतृत्व में उन्हीं के गृह जिले में पार्टी अपना पुराना शानदार प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई।

यहीं से कौशिक की संगठन से विदाई और नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाओं ने जोर पकड़ा। हालांकि संगठन में यह धारणा बना ली गई थी कि तीन महीने बाद सांगठनिक चुनाव को देखते हुए प्रदेश संगठन में नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा। लेकिन संगठन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, एक हफ्ते के भीतर प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने की पटकथा लिख दी गई।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से लेकर युवा मोर्चा और संगठन में लंबी सेवाएं देने वाले भट्ट को कमान सौंपकर पार्टी ने क्षेत्रीय व जातीय समीकरण में संतुलन बनाने के साथ कार्यकर्ताओं के बीच संदेश देने की कोशिश भी की।

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