देहरादून; हर साल रक्षाबंधन सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस साल रक्षा बंधन की तारीख को लेकर असमंजस में हैं कि ग्यारह को मनाएं या बारह को। आइए आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं से जानते हैं रक्षाबंधन की सही तिथि, शुभ मुहूर्त के बारे में।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आचार्य ममगाईं ने बताया कि राष्ट्रीय हिंदू पर्वों का निर्धारण ‘राष्ट्रीय पंचांग सुधार समिति’ के ज्योतिष कर्मकांड, वेद, धर्म शास्त्रों के विद्वानों के अनुसार किया जाता है। इस बार अमर ग्रंथ “व्रत पर्व विवेक” में 2022 के लिए रक्षाबंधन तिथि ग्यारह अगस्त ही निर्धारित की गई है।
इसके अतिरिक्त यदि हम धर्म ग्रंथों का अध्ययन करें जिसमें मुख्यतः धर्मसिंधु, निर्णय सिंधु, पीयूष धारा, मुहूर्त चिंतामणि, तारा प्रसाद दिव्य पंचांग इत्यादि का अध्ययन करने पर इस परिणाम पर पहुंचेंगे कि 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन और श्रावणी उपाकर्म पर्व है।
रक्षाबंधन एवं श्रावणी उपाकर्म में मुख्यतः पूर्णिमा तिथि एवं श्रवण नक्षत्र का होना आवश्यक माना गया है। इस वर्ष 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 39 मिनट से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो रही है, जो पूरे दिन व्याप्त है , जबकि श्रवण नक्षत्र प्रातः 6:53 से प्रारंभ हो जाएगा।
कई जातकों का इसमें प्रश्न है कि उत्तराषाढ़ा युक्त श्रवण नक्षत्र में उपा कर्म रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र दो मुहूर्त यदि हो तो उसका दुष्प्रभाव होता है, लेकिन रक्षाबंधन के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र केवल 5 मिनट तक रहेगा, जबकि एक मुहूर्त 48 मिनट का होता है। यह तथ्य भी यहां पर लागू नहीं होता है।
क्योंकि 12 अगस्त को पूर्णिमा प्रातः 7 बजकर 6 मिनट पर समाप्त हो जाएगी, जो सूर्योदय के बाद 18 मिनट ही होते हैं जो कि एक मुहूर्त से भी कम है।
निर्णय व धर्मसिंधु ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद युक्त प्रतिपदा व धनिष्ठा युक्त नक्षत्र में श्रावणी उपाकर्म (जनेऊ धारण) करना शास्त्रों में निषेध माना गया है।
11 अगस्त को पूरे दिन भद्रा व्याप्त है, परंतु भद्रा मकर राशि मे होने से इसका वास पाताल लोक में माना गया है। यह स्पष्ट है कि मेष, वृष, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु या मकर राशि के चंद्रमा में भद्रा पड़ रही है तो वह शुभ फल प्रदान करने वाली होती है।
रक्षा बंधन का पवित्र पर्व भद्रा रहित अपराह्न पूर्णिमा में करने का शास्त्र विधान है।
यदि अपराह्न कालिक पूर्णिमा ना हो रक्षाबंधन नहीं मना सकते। 12 तारीख को सुबह 7 बजकर 6 मिनट तक है, तो मनाने का प्रश्न ही नहीं होता। भद्रा पाताल की है। दोषमुक्त है। दोष पाताल में बली लक्ष्मी को होगा। क्योंकि इस समय साकल्य पादित पूर्णिमा का अस्तित्व होगा
इस वर्ष 11 अगस्त 2022 को अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा दोष व्याप्त है और आगामी दिन 12 अगस्त शुक्रवार को पूर्णिमा त्रि मुहूर्त व्यापिनी नहीं है। पूर्णिमा केवल 7 बजकर 6 मिनट पर समाप्त हो रही है। अतः उपरोक्त शास्त्र निर्णयानुसार रक्षाबंधन 11 तारीख को ही है।
इसलिए सभी विद्ववानों के अनुसार अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 26 मिनट से दोपहर एक बजकर 34 मिनट तक है। भद्रा पुछ 5 बजकर 19 मिनट से 6 बजकर 53 तक है।