नई दिल्ली; नितिन गडकरी अपने बयानों को लेकर अक्सर खबरों में रहने वाले गडकरी को पिछले सप्ताह भाजपा संसदीय बोर्ड से हटा दिया गया था। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को अपने आलोचकों और मीडिया के एक वर्ग पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए उनके बयानों को गलत तरह से पेश किया जा रहा है। गडकरी ने ट्वीट कर कहा, ‘आज, एक बार फिर मुख्यधारा के मीडिया, इंटरनेट मीडिया के एक वर्ग और कुछ लोगों द्वारा राजनीतिक फायदे के लिए मेरे खिलाफ घृणित और मनगढ़ंत अभियान जारी रखने के प्रयास किए जा रहे हैं और सार्वजनिक समारोहों में मेरे बयानों को बिना सही संदर्भ के पेश किया जा रहा है।’
मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय मंत्री ने मंगलवार को एक पुस्तक के विमोचन समारोह में दिए गए अपने भाषण के यूट्यूब लिंक को ट्वीट किया जिसके चुनिंदा अंशों का इंटरनेट मीडिया पर इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री कार्यालय को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘मैं ऐसे तत्वों के इस तरह के दुर्भावनापूर्ण एजेंडे से कभी परेशान नहीं हुआ, लेकिन सभी संबंधित लोगों को चेताया जा रहा है कि इस तरह की शरारत जारी रही तो मैं सरकार, पार्टी और अपने लाखों परिश्रमी कार्यकर्ताओं के व्यापक हित में कानून का रास्ता अपनाने में संकोच नहीं करूंगा।’
अक्सर पार्टी और संगठन से जुड़ी कहानियां सुनाने वाले गडकरी ने पुस्तक विमोचन समारोह में एक पुरानी घटना का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र के एक गांव में सड़क बनाने का जिम्मा लिया था और संबंधित अधिकारी से कहा था कि अगर वह उनके साथ रहा तो सही है, लेकिन अगर ऐसा नहीं भी होता तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। मुझे नतीजों की चिंता नहीं है, लेकिन मैं यह काम करूंगा। अगर मुमकिन है तो मेरे साथ रहो, वरना मुझे कोई परेशानी नहीं है। इस बयान को इंटरनेट मीडिया में इस तरह से पेश किया जा रहा है कि गडकरी को अपना पद खोने की कोई चिंता नहीं है।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने वीडियो ट्वीट करके पूछा था कि गडकरी ऐसा क्यों कह रहे हैं। संजय सिंह ने गुरुवार सुबह ट्वीट किया, ‘भाजपा में बहुत बड़ी गड़बड़ चल रही है।’ गडकरी का ट्वीट भी तब आया है, जब एक प्रमुख अखबार की खबर में भाजपा के कई वरिष्ठ सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि पूर्व भाजपा अध्यक्ष को अलग और सुर्खियों में रहने वाले बयान देने की प्रवृत्ति के लिए संसदीय बोर्ड से हटाया गया है।
संपादन: अनिल मनोचा