देहरादून: मुख्यमंत्री ने कहा कि भू-कानून का मसविदा प्राप्त करके सरकार ने एक और वादे की तरफ कदम बढ़ा दिया है। उन्होंने भू कानून के बारे में अपनी टिप्पणी करते हुए कहा है कि समिति ने अपनी रिपोर्ट हमें सौंप दी है। हमारी मान्यता है कि यहां हम किसी को आने से नहीं रोकना चाहते लेकिन उत्तराखंड की जमीन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। यह सच है इसीलिए उन्होंने भू समिति की पहल की थी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को बातचीत में कहा कि उत्तराखंड की देवभूमि में जमीनों का दुरुपयोग न हो यह हम सबकी जिम्मदारी है। उन्होंने कहा कि भू कानून संबंधित रिपोर्ट हमें मिल गई है, इस पर सभी पक्षों की राय ली जाएगी। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश के विकास और प्रदेशवासियों के कल्याण के लिए निर्णय लेंगे। समिति ने प्रदेश हित में निवेश की संभावनाओं और भूमि के अनियंत्रित क्रय विक्रय के बीच संतुलन स्थापित करते हुए अपनी 23 संस्तुतियां सरकार को दी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से मैंने मुख्यमंत्री पद पर कार्य करना प्रारंभ किया था तभी से लोग भू कानून लागू करने की मांग कर रहे थे, इसके लिए मैंने एक समिति गठित की और अब समिति ने अपनी सिफारिशें दे दी है। इस पर मंत्री मंडल की चर्चा के बाद उत्तराखंड के हित में भू कानून लागू किया जाएगा। भू कानून उत्तराखंड के लिए कोई नया मुद्दा नहीं है। राज्य स्थापना के बाद से ही भू कानून की मांग उठने लगी थी, उस दौरान उत्तर प्रदेश का ही भू अधिनियम प्रदेश में लागू रहा। राज्य बनने के बाद यहां की जमीनों में काफी उछाल आया और खरीद-फरोख्त शुरू हो गई। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित उत्तराखंड में जनसंख्यीय परिवर्तन होने लगा जिसके कारण भू कानून की मांग अधिक होने लगी थी।
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