उत्तर प्रदेश; शाहजहांपुर में दंपती ने बेटे की चाहत में सातवीं संतान उत्पन्न की। जो बेटी हुई। सातवीं बेटी के पैदा होने पर दंपती ने चौंकाने वाला कदम उठाया है। निस्संतान मुस्लिम दंपती को सौंपी बेटी दंपती ने लालन पालन की जिम्मेदारी उठाने से बचने के लिए बेटी को मुस्लिम परिवार को दे दिया हैं। जिसके बाद यह बच्ची अब मुस्लिम परिवार का घर रोशन करेगी।
सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है। बेटियां भी हर क्षेत्र में अपना दमखम दिखा रही हैं। बावजूद इसके लोगों की सोच नहीं बदल पा रही। बेटे की चाहत में दंपती ने छह बेटियों को जन्म दिया। सातवीं बार भी बेटी हुई तो बोझ मानते हुए उसे निसंतान मुस्लिम दंपती को गोद दे दिया।
मिली जानकारी के अनुसार, निगोही के गांव तिलोका निवासी रमाकांत की पत्नी संगीता देवी ने बुधवार देर शाम बच्ची को सीएचसी में जन्म दिया था। दंपती ने गांव के नईम अहमद व उनकी पत्नी शाहजिया को बच्ची गोद दे दी।
कागजी लिखा पढ़ी भी कर ली। बेटी को गोद देने के सवाल पर रमाकांत ने बताया कि उसकी यह उसकी सातवीं बेटी है। एक बेटी की मृत्यु हो चुकी है। सबसे बड़ी बेटी खुशबू चौदह वर्ष तथा सबसे छोटी नन्ही की उम्र दो वर्ष है। रमाकांत ने बताया कि उसकी व पत्नी की इच्छा थी कि बेटे का जन्म हो, लेकिन इस बार भी बेटी पैदा हुई।उसके पास पांच बीघा जमीन ही है। पांच बेटियों का खर्च उठाना मुश्किल पड़ रहा था। बेटी का पालन अच्छे से हो सके इसलिए गांव के निसंतान नईम व शाहजिया को बेटी गोद दे दी। ब्यूटी पार्लर चलाने वाली शाहजिया बच्ची को पाकर खुश है। बताया कि छह साल पहले शादी हुई थी। कोई संतान नहीं हुई। दो वर्ष से किसी बच्चे को गोद लेने की कोशिश कर रहे थे।संगीता से बात हुई थी। उसने कहा था कि अगर इस बार भी बेटी हुई तो गोद दे देगी। नईम ने बताया कि न्यायालय में जाकर कानूनी रूप से बच्ची को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करेंगे। बिना कानूनी प्रक्रिया बच्ची को इस तरह से गोद देने के सवाल पर एसओ रविंद्र कुमार का कहना था कि यह अच्छा कार्य हुआ है। इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।