नई दिल्ली; यह युद्ध का युग नहीं है। इस बयान के बाद पीएम मोदी पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र में आ गए हैं। बदला है भारत के प्रति दुनिया का नजरिया बीते दिनों उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय बातचीत की थी। इस बातचीत के कुछ अंश मीडिया में भी जारी किए गए थे। इस वार्ता में प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को वैश्विक चिंताओं से अवगत कराते हुए यूक्रेन के साथ जारी लड़ाई को खत्म करने की अपील की थी।
मौजूदा वक्त में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दुनिया के नुमाइंदों की चर्चाएं सुर्खियों के केंद्र में हैं। गाहे-बगाहे इन चर्चाओं में भारत के शीर्ष नेतृत्व की ओर से दिया गया बयान भी जोर पकड़ लेता है। ताजा मामला मेक्सिको की ओर से रखे गए एक प्रस्ताव का है जिसमें कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र युद्धरत रूस और यूक्रेन नेताओं से वार्ता के लिए समिति गठित करे। मैक्सिको ने यह भी कहा है कि इस समिति में भारत के प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी, पोप फ्रांसिस और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस को शामिल किया जाना चाहिए।
दरअसल, मेक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुएल लापेज ओब्रैडोर का मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जो स्थितियां बन गई हैं उनमें शांति स्थापित करना बड़ी चुनौती है। इसके लिए सबसे ज्यादा प्रभावशाली उपाय किए जाने की जरूरत है। इसके लिए उक्त प्रस्ताव का क्रियान्वयन जरूरी है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को शांति का संदेश देने वाले पीएम मोदी की दिलेरी की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी मुल्कों ने प्रधानमंत्री मोदी के उक्त बयान का स्वागत किया है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और सहायक रक्षा मंत्री डा. एली रैटनर ने पीएम मोदी के बयान का स्वागत किया है।
हाल ही में दुनिया के एक अन्य मोर्चे पर टकराव के आसार नजर आने लगे थे। हालांकि वैश्विक पहलकदमी के बाद गतिरोध फिलहाल शांत है। हाल ही में अजरबैजान ने कहा था कि वह आर्मेनिया के साथ बातचीत करके स्थाई समाधान के लिए तैयार है लेकिन शर्त केवल इतनी है कि यदि भारत इस क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए कोई प्रस्ताव लेकर आए तब यह संभव है।
एक ओर भारत का पड़ोसी मुल्क चीन की भूमिका को लेकर दुनिया आशंकित है तो दूसरी ओर भारत की शांति की पहलकदमी और वसुधैव कुटुंबकम के बयान का स्वागत किया जा रहा है। दुनिया नेताओं ने मोदी के बयान को मौजूदा वक्त में न्यायोचित बताया है। न्यूयार्क में यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनीज शमीहाल ने भी भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और परमाणु संयंत्र को लेकर बने गतिरोध को दूर करने के लिए भारत की मदद मांगी। मार्च से ही यूक्रेन के इस संयंत्र पर रूसी सेना का कब्जा है।
पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत में वसुधैव कुटुंबकम की भावना का इजहार करते हुए पूरी दुनिया में गहरा रहे आर्थिक संकट की ओर इशारा किया था। पीएम मोदी ने कहा था कि यूक्रेन युद्ध की वजह से विकासशील देशों के समक्ष खाद्य और ऊर्जा संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पीएम मोदी ने पुतिन से इस दिशा में कदम उठाने की अपील की थी। पीएम मोदी की यह अपील जैसे ही वायरल हुई पूरी दुनिया ने इस पहलकदमी को खूब सराहा।