उत्तराखंड; ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा परिसर की वीरानी अब जल्द ही दूर होगी। आने वाले दिनों में वहां विभिन्न विभागों के तत्वावधान में सेमिनार, कार्यशाला जैसे आयोजन होंगे। साथ ही राज्य से जुड़े तमाम विषयों पर भी मंथन किया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण इस सिलसिले में सभी मंत्रियों को पत्र लिखने जा रही हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड की जनभावनाओं का केंद्र रहे गैरसैंण को लंबी प्रतीक्षा के बाद वर्ष 2020 में ग्रीष्मकालीन राजधानी का बनाया गया। समुद्रतल से छह हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित भराड़ीसैंण में विधानसभा परिसर की छटा देखते ही बनती है।
खूबसूरत विधानसभा भवन के साथ ही मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायकों और अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए आवास भी वहां बन चुके हैं।यद्यपि, ग्रीष्मकालीन राजधानी में सालभर में विधानसभा का एकाध सत्र होता है, लेकिन बाकी समय में विधानसभा परिसर में वीरानी छायी रहती है।
इसे देखते हुए पूर्व में विधानसभा परिसर में अंतरराष्ट्रीय शोध केंद्र की स्थापना की बात हुई, लेकिन यह पहल अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है। यही नहीं, विधानसभा सत्र को छोड़ कर शेष समय में परिसर में स्थित भवनों का कोई उपयोग भी नहीं हो पा रहा है।
अब गैरसैंण विधानसभा भवन परिसर में पसरे सन्नाटे को तोड़ने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कहा कि गैरसैंण विधानसभा परिसर के भवनों का उपयोग किया जाना आवश्यक है। इसे अनुसंधान केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाना चाहिए।
इस कड़ी में वह सभी मंत्रियों को पत्र लिखने जा रही हैं कि वे समय-समय पर अपने-अपने विभागों से संबंधित सेमिनार, कार्यशाला जैसे आयोजन गैरसैंण में करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित करें। इससे गैरसैंण में सालभर कुछ न कुछ गतिविधियां होती रहेंगी। वहां आवासीय सुविधा भी उपलब्ध है।
यदि आवश्यकता पड़ती है तो वहां होने वाले कार्यक्रमों के मद्देनजर कैंटीन की सुविधा भी उपलब्ध करा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि गैरसैंण विधानसभा भवन परिसर में होने वाले आयोजनो से विधानसभा को आय भी होगी, जिसे वहां अनुरक्षण संबंधी कार्यों पर खर्च किया जा सकेगा।
संपादन: अनिल मनोचा