जम्मू-कश्मीर; 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हेमंत कुमार लोहिया (52) शहर के बाहरी इलाके में अपने उदयवाला निवास पर मृत मिले जिनका गला रेता गया था और उनके शरीर पर जलने के निशान थे।
डीजी (जेल) हेमंत लोहिया की हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। खबर है कि हत्या की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट ने ली है। इस संगठन का नाम केंद्र शासित प्रदेश में हुई टारगेट किलिंग में भी सामने आता रहा है। घर में काम करने वाले यासिर को मामले का मुख्य आरोपी बताया जा रहा है। फिलहाल, वह फरार है। खास बात है कि यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, टीआरएफ ने पुलिस अधिकारी की हत्या की जिम्मेदारी ली है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े (पीपुल्स एंटी फासिस्ट फोर्स) का नाम भी सामने आ रहा है। पुलिस का कहना है कि लोहिया के गले को काटा गया था और शरीर पर जलाए जाने के भी निशान थे। खबर है कि हत्यारे ने गला घोंटकर हत्या की थी और बाद में केचप की बोतल से गर्दन रेत दी थी।
मामले की जांच जारी है और जम्मू और राजौरी में अस्थायी रूप से इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि मामले की जांच जारी है। आरोपी ने दरवाजा बंद करके डीजी की हत्या कर दी थी। उन्होंने बताया कि लोहिया कुछ दिनों से दोस्त के घर पर रह रहे थे। साथ ही उन्होंने जानकारी दी है कि आरोपी आरोपी एक आक्रामक और अस्थिर व्यक्ति था।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (जम्मू क्षेत्र) मुकेश सिंह ने बताया कि 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी लोहिया (52) शहर के बाहरी इलाके में अपने उदयवाला निवास पर मृत मिले जिनका गला रेता गया था और उनके शरीर पर जलने के निशान थे। पुलिस प्रमुख ने कहा कि घटनास्थल की प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि लोहिया ने अपने पैर में कुछ तेल लगाया होगा जिसमें कुछ सूजन दिखाई दे रही थी।
मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि मौका ए वारदात से बरामद हुए सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध हत्या के तुरंत बाद भागता हुआ नजर आ रहा है।
यह आतंकवादी संगठन जम्मू और कश्मीर में सक्रिय रहता है। खास बात है कि साल 2019 में विशेष दर्जा वापस लिए जाने के बाद यह संगठन तैयार हुआ था। टीआरएफ घाटी में कई हत्याओं की जिम्मेदारी ले चुका है। आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही जम्मू और कश्मीर में टारगेट किलिंग्स की खबरें सामने आने लगी थी। कहा जाता है कि इसी संगठन ने अधिकांश मामलों में हत्या की जिम्मेदारी ली थी।
संपादन: अनिल मनोचा