मिली जानकारी के अनुसार, शनिवार को पकड़े गए तीनों आरोपी सरकार में बड़ी पैठ रखते हैं। इनकी गिरफ्तारी से सरकारी तंत्र में भी तमाम चर्चा शुरू हो गई है। अब तक जिन संबंधों को गुपचुप तरीके से कहा जा रहा था, अब वह सार्वजनिक हो गए हैं। आरबीएस रावत के राजनीतिक लोगों से गहरे ताल्लुकात थे। यही कारण था कि उन पर किसी ने हाथ नहीं डाला। अब जब रावत पर शिकंजा कसा गया है तो इसके लिए बड़ी योजना के तहत काम हुआ। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में ज्यादातर लोगों को सरकारी गवाह बनाया गया है ताकि केस को और मजबूत बनाया जा सके।
तमाम वीआईपी लोग और अधिकारियों को इन तीनों के खेल के बारे में पता था। यह भी जानकारी थी कि किस तरह से पैसा इन लोगों के पास आता है और नकल के सिंडीकेट के ये किस तरह से संपर्क में रहते हैं। सूत्रों के मुताबिक, इनमें एक मंडी समिति का पूर्व अध्यक्ष भी शामिल है। इससे जब एसटीएफ ने पूछताछ की तो सारा राज उगल दिया।
मिली जानकारी के अनुसार, एसटीएफ ने इस पूर्व अधिकारी को सरकारी गवाह बना लिया है। इससे पूछताछ के आधार पर एसटीएफ के सामने एक पूर्व सीएम के ओएसडी का नाम भी सामने आया। सूत्रों के मुताबिक, एसटीएफ उनकी भी जांच कर रही है। पूर्व ओएसडी से भी पूछताछ की जाएगी।