देहरादून; अहोई अष्टमी का त्योहार पूरे भारत में जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार करवाचौथ के 4 दिन बाद आता है। इस साल व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष यानि 17 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस दौरान, माताएं बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए अहोई अष्टमी माता का व्रत करती हैं। मान्यता है कि इस योग में संतान की दीर्घायु के लिए रखा गया व्रत फलदायी होता है।
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त; ज्योतिषाचार्य अशोक नन्दा के मुताबिक, पूजा का शुभ समय शाम 6 बजकर 14 मिनट से शाम 7 बजकर 28 मिनट तक है। तारों को देखने का समय शाम 6:36 मिनट पर है।
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त; ज्योतिषाचार्य अशोक नन्दा के अनुसार व्रत में रोली, चावल और दूध से अहोई माता का पूजन किया जाता है। इसके बाद कलश में जल भरकर माताएं अहोई अष्टमी कथा का श्रवण करती हैं। इस दौरान अहोई माता को पूरी और किसी मिठाई का भोग भी लगाया जाता है। इसके बाद रात में तारों को अर्घ्य देकर माताएं अन्न ग्रहण करती हैं।
न करें ये गलतियां:-
- व्रत के दिन माताएं इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वह मिट्टी से जुड़ा कोई काम न करें।
- व्रत के दौरान किसी भी प्रकार की नुकीली चीज को हाथ न लगाएं।
- इस दिन सिलाई का काम न करें।
- परिवार में विवाद या झगड़े से बचना चाहिए। साथ ही किसी को अपशब्द न कहें।
- व्रत पारण से पहले सोना वर्जित है।
- तारों को अर्घ्य देते समय धातु का ध्यान जरूर रखें।
- स्टील से बने लोटे का इस्तेमाल करें। तांबे का इस्तेमाल वर्जित है।
- इस दिन परिवार के लिए भी सात्विक भोजन ही पकाएं।
संपादन: अनिल मनोचा