देहरादून; अस्थायी राजधानी देहरादून में सब जगह गलियों में चौराहों पर सडकों में हर जगह सिर्फ लम्बे-लम्बे जाम दुकानों के आगे अतिक्रमण ही नजर आते हैं
कई बार तो ऐसा महसूस होता है की देहरादून में पुलिस नाम की कोई चीज़ है भी या नहीं,
हर जगह जाम होने की वजह से सारा शहर प्रदूषण की चपेट में आ चुका है जिससे हर जगह खांसी, जुकाम, बुखार का प्रकोप छाया हुआ है
लेकिन शासन, प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं, ओर पुलिस का काम सिर्फ चालान करके प्रशासन की जेब भरकर अपनी जान छुड़वा लेना है
खुद पुलिस से किसी कार्यवाही की तो कोई उमीदें हैं नहीं अगर कोई शिकायत पुलिस विभाग में कर दे तो भी पुलिस की कान पर जूं तक नहीं रेंग्ती
ऐसा ही एक मामला तिलक रोड से कान्वली रोड पर जो गन्दा नाला बहता है, कुछ समय पूर्व सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर उसको ढका गया जिससे उस पर एक शानदार रोड, कान्वली रोड की तरफ बन गई जिससे सहारनपुर चौक पर लगने वाले जाम से भी लोगों का छुटकारा मिल गया लेकिन कुछ दिनों बाद ही अब यह सड़क मुफ्त की पार्किंग के काम आना शुरु हो गई जिसपर बेन्तेहा कार, छोटा हाथी, बारात की ठेयलियाँ हर समय कब्जा जमाये रहते हैं, पास ही खूड़बुड़ा पुलिस चौकी है मजाल है की वह कोई कार्यवाही करे जब एक बार वहां बात की गई तो पुलिस का जवाब था हमने कितनी बार इनके चालान किये पर यह मानते ही नहीं
ओर तो ओर कुछ समय पूर्व वरिष्ठ पुलिस प्रबन्धक को इसकी शिकायत का एक पत्र भी दिया लेकिन क्या मजाल है की कोई कार्यवाही की गई हो ऐसा लगता है की वह शिकायत भी उठा कर रद्दी की टोकरी के हवाले कर दी गई हो
सम्पादन : अनिल मनोचा
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