नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के एक हिस्से से सैनिकों की वापसी के बावजूद भारत और चीन के रिश्ते अभी सामान्य नहीं हुए हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नई दिल्ली में ‘नए युग में चीन की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध’ पर आयोजित सेमिनार में चीन की तरफ से द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य बनाने की कोशिश को सिरे से खारिज किया। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि भारत ने पूर्व में जिस तरह से आत्म नियंत्रण की नीति अपना रखी थी, वह पुरानी बात हो गई। विदेश मंत्री ने बेहद अर्थपूर्ण शब्दों में कहा, ‘नया युग सिर्फ चीन का नहीं है।’
मिली जानकारी के अनुसार, सेमिनार का आयोजन कान्फ्रेंस आफ सेंटर फार कंटमपररी चाइना स्टजीड (सीसीसीएस) की तरफ से किया गया था। विदेश मंत्री ने अपने भाषण के कुछ बिंदुओं को इंटरनेट मीडिया साइट के जरिये सार्वजनिक किया है। उन्होंने कहा है, ‘तकरीबन सात दशकों में भारत ने चीन के साथ अपने रिश्तों को द्विपक्षीय आधार पर ही लिया। इसके पीछे कई वजहें थीं जैसे एशियाई देशों के बीच सहभागिता को बढ़ाना या अपने अनुभव की वजह से किसी तीसरे पक्ष के हितों के प्रति संदेह का होना। असलियत में भारत ने चीन के साथ अपने रिश्ते को लेकर काफी ज्यादा स्वनियंत्रण दिखाया है, जिससे यह संकेत गया है कि भारत की पसंद पर दूसरे पक्ष वीटो लगा सकते हैं। लेकिन अब यह समय बीत चुका है। नया युग सिर्फ चीन का नहीं है।’
जयशंकर ने आगे कहा, ‘भारत चीन के साथ एक स्थिर व संतुलित रिश्ता चाहता है। वर्ष 2020 के अनुभव के बाद सीमा पर प्रभावशाली रक्षा तंत्र पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। कोविड के बावजूद इस पर काम किया गया। सीमा पर अमन-शांति स्पष्ट तौर पर रिश्तों को सामान्य करने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार है। कई बार सीमा विवाद के संदर्भ में इसे गलत तरीके से भी पेश किया जाता है।’ विदेश मंत्री ने यह बात एलएसी पर स्थित गोगरा-हाटस्प्रिंग इलाके से सैनिकों की वापसी को द्विपक्षीय रिश्ते को सामान्य बताने की चीन की कोशिश के संदर्भ में कही।
चीन का कहना है कि दोनों देशों ने सीमा विवाद का सुलझा लिया है, जबकि भारत का कहना है कि मई 2020 से पहले की स्थिति अभी बहाल नहीं हुई है। जयशंकर ने स्वीकार किया कि वर्ष 2020 से पहले की स्थिति को बहाल करना आसान नहीं है लेकिन इस काम को अलग नहीं रखा जा सकता। यह काम तभी होगा जब एक दूसरे का आदर करें, एक दूसरे की संवेदनाओं व हितों का ख्याल रखें।’
अंत में विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्ष काफी चुनौतीपूर्ण रहे हैं, संबंधों के लिए भी और महाद्वीप के भविष्य के लिहाज से भी। मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति न तो भारत के हित में है और न ही चीन के। नए मानदंड बनाने की मनोवृत्ति नई प्रतिक्रियाओं को जन्म देगी। दोनों देशों को अपने रिश्तों की दीर्घकालिक हितों का प्रदर्शन करना होगा।
संपादन: अनिल मनोचा