उत्तराखण्ड; नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के दो दिसंबर 2022 के आदेश पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के फैसले से 1724 उद्योगों और वहां कार्यरत लाखों कर्मचारियों को राहत मिली है।
मिली जानकारी के अनुसार, कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 20 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि प्रोड्यूसर, ब्रांड ओनर, इंपोर्टर व मैन्यूफेक्चर्स की ओर से राज्य प्रदूषण बोर्ड में पंजीकरण, ईपीआर एक्शन प्लान पेश नहीं करने पर बोर्ड ने अनापत्ति प्रमाणपत्र रद्द कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।
कुमाऊं गढ़वाल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और सिडकुल मैन्यूफेक्चरर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें राज्य प्रदूषण बोर्ड के दो दिसंबर 2022 के आदेश को चुनौती दी गई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पीसीबी ने अपने आदेश में कहा कि प्रदेश के 1724 उद्योगों ने भारत सरकार की ओर से अधिसूचित प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नियमावली-2016 की धारा 13 का अनुपालन नहीं किया है।
कई बार सूचित करने के बावजूद इन उद्योगों ने तय समय के भीतर ब्रांड ओनर, मैन्यूफेक्चर, प्रोड्यूसर व रिसाइकिल को पंजीकृत नहीं किया और न ही ईपीआर एक्शन प्लान पेश किया। इसलिए इनके संचालन पर रोक लगाई जाती है। बोर्ड ने कहा कि प्रदेश में पंजीकृत 1729 उद्योगों में से केवल हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, ब्रिटानिया इंडस्ट्री लिमिटेड, रेकिट बेनकीजर लिमिटेड और परफेटी वैन मेल्ले लिमिटेड ने ही ईपीआर प्लान पेश किया है।
पूर्व में भी उच्च न्यायालय ने इन्हें रजिस्ट्रेशन कराने के आदेश दिए थे फिर भी इन्होंने पंजीकरण व ईपीआर प्लान पेश नहीं किया। बोर्ड ने इसकी सूचना समाचार पत्रों और नोटिस के माध्यम से 1724 उद्योगों को भेजी। उद्योगपतियों की ओर से दायर याचिका में पीसीबी के आदेश को निरस्त करने व उद्योगों के संचालन की अनुमति के लिए हाईकोर्ट से याचना की गई। हाईकोर्ट के उक्त आदेश पर फिलहाल रोक से उद्यमियों को फौरी राहत मिल गई है।
संपादन: अनिल मनोचा