December 23, 2024

Devsaral Darpan

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हरिद्वार- देवी की इस शक्तिपीठ में दर्शन करने से हर कष्ट हरती है मां काली, दक्षिणवाहिनी बहती है गंगा !!

हरिद्वार; हरिद्वार में देवी के मंदिरों का शक्तिकोण है। यहां मायादेवी, मंसा देवी, चंडी देवी और सिद्धपीठ मां दक्षिण काली मंदिर आदिकाल से है। यहां पूजा करने का अपना महत्व होता है। खास बात ये है कि सिद्धपीठ मां दक्षिण काली मंदिर में माई का मुख दक्षिण की ओर नहीं बल्कि पूरब की ओर है। लेकिन गंगा यहां दक्षिण की तरफ बहती है। इसलिए इस पीठ को दक्षिण काली पीठ कहा जाता है।

मां स्वेच्छा से खाती हैं खिचड़ी : मंदिर में शनिवार को नारियल, गुलाब पुष्प, काला जामुन, मीठा पान चढ़ता है। श्रद्धालुओं की मंदिर में अपार भीड़ रहती है। मान्यता है कि पीठ की स्थापना विक्रम संवत 351 में हुई। यहां सच्चे मन से मांगी मुराद पूरी होती है। नवरात्रों में यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। माई को रात्रि पूजन बहुत पसंद है। शनिवार को माई स्वेच्छा से खिचड़ी खाती हैं।

गुरु कामराज ने की थी स्थापना : माना जाता है कि स्वयं काल भैरव इस काली पीठ की रक्षा करते हैं। काली और शिव भक्त गुरु कामराज ने मां की मूर्ति को यहां स्थापित किया था।  कहा जाता है कि भारत की रक्षा के लिए 1962 में चीन के सीज फायर को रोकने के लिए एक अनुष्ठान हुआ। तब राष्ट्रीय स्वामी दतिया जी तीन दिन इस पीठ पर रहे। दक्षिण काली पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी बताते हैं, आदि शक्ति की आराधना से सृष्टि को संबल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में शक्ति के सभी नौ स्वरूपों की आराधना व्यक्ति की अंतर्शक्ति को ऊद्गामी बना देती है। सच्चे मन से की गई मां की पूजा-अर्चना से भक्तों की मनोकमना पूरी होती है।

ऐसे पहुंचे मंदिर : श्री दक्षिण काली मंदिर हरिद्वार नजीबाबाद हाईवे से चीला जाने वाले मार्ग पर स्थित है। रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से ऑटो या टैक्सी से यहां पहुंचा जा सकता है। निजी वाहनों से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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