प्रदेश में 16501 सरकारी और 614 अशासकीय स्कूल हैं। नियमानुसार हर साल शिक्षा सत्र एक अप्रैल को शुरू होने से पहले सभी छात्र-छात्राओं तक मुफ्त पाठ्य पुस्तकें पहुंच जानी चाहिए, लेकिन प्रदेश में मुफ्त पाठ्य पुस्तकों के नाम पर सरकारी और अशासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्र-छात्राओं के साथ मजाक किया जा रहा है। यही वजह है कि एक आध वर्ष को छोड़ दें, तो राज्य गठन के बाद कभी छात्र-छात्राओं को तय समय पर पाठ्य पुस्तकें नहीं मिली, लेकिन इस बार छात्र-छात्राओं तक पाठ्य पुस्तकें पहुंचना तो दूर इसके लिए अभी तय प्रक्रिया ही पूरी नहीं की जा सकी है।
राज्य में सिस्टम की सुस्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। बिहार में सितंबर में यह प्रक्रिया पूरी कर ली गई, उत्तर प्रदेश में ब्लॉक स्तर तक पाठ्य पुस्तकें पहुंच चुकी हैं। वहीं उत्तराखंड में सरकार कक्षा एक से 12 वीं तक के बच्चों को मुफ्त पाठ्य पुस्तक देने को बड़ी उपलब्धी के रूप में गिनाती रही है।
शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने कहा कि कक्षा एक से 12वीं तक मुफ्त पाठ्य पुस्तकों के लिए टेंडर हो चुका है। कक्षा एक से आठवीं तक की पुस्तकों के लिए शुक्रवार यानि आज एमओयू हो जाएगा। इसके बाद पाठ्य पुस्तकें हर ब्लॉक तक पहुंचाई जाएंगी। नौंवी से 12 वीं तक की पाठ्य पुस्तकों के लिए टेंडर के बाद शासन से अनुमति आनी है। सभी छात्र-छात्राओं तक पाठ्य पुस्तकें पहुंचने में दो से तीन महीने का समय लग सकता है।
इन छात्र-छात्राओं को पहली बार मिलनी है मुफ्त पाठ्य पुस्तकें : प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों को पहले से मुफ्त पाठ्य पुस्तकें दी जाती रही हैं, लेकिन पहली बार अशासकीय स्कूलों के कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के छात्र-छात्राओं को भी मुफ्त पाठ्य पुस्तकें दी जाएंगी। इस पर आने वाला खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों की किताबों पर आने वाला खर्च केंद्र सरकार वहन करती है।
किस जिले में कितने हैं सरकारी स्कूल : प्रदेश में पौड़ी जिले में सबसे अधिक 1994 सरकारी स्कूल हैं। अल्मोड़ा में 1713, बागेश्ववर में 768, चमोली में 1325, चंपावत में 682, देहरादून में 1296, हरिद्वार में 938, नैनीताल में 1349, पिथौरागढ़ में 1487, रुद्रप्रयाग में 765, टिहरी में 1901, ऊधमसिंह नगर में 1110 और उत्तरकाशी में 1173 सरकारी स्कूल हैं।
पहले डीबीटी के माध्यम से छात्रों के खाते में जाता था किताब का पैसा :