उत्तराखण्ड; शिक्षा विभाग के कारनामे अजब-गजब हैं। विभाग दुर्गम से सुगम क्षेत्र के लिए अनिवार्य तबादला सूची में ऐसे शिक्षकों के नाम बार-बार दे रहा है, जो मनपसंद जगह न मिलने के कारण तबादले में जा नहीं रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि अन्य शिक्षकों के सुगम में आने की राह रुक गई है।
25 जून 2019 और आठ जुलाई 2022 में जिन शिक्षकों के तबादला सूची में नाम आए थे, उनके नाम इस साल फिर से शामिल कर दिया गया है। प्रदेश में शिक्षकों, कर्मचारियों के तबादलों के लिए तबादला एक्ट बना है। तबादला एक्ट की धारा 10 के तहत दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में तबादले का मानक तय है।
एक्ट में स्पष्ट है कि दुर्गम क्षेत्र में अपनी तैनाती के स्थान पर तीन साल या उससे अधिक समय से तैनात कार्मिक का सुगम क्षेत्र में अनिवार्य तबादला किया जाएगा। इसके अलावा यदि कोई कार्मिक दुर्गम स्थान पर तीन साल से कम समय से कार्यरत है, लेकिन उसकी पूरी सेवा दुर्गम क्षेत्र में 10 साल से अधिक है तो वह भी दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में अनिवार्य तबादला पाएगा। वहीं, शिक्षा विभाग में कई शिक्षक 15 या फिर इससे भी अधिक वर्षों से दुर्गम की सेवा के बाद भी पहाड़ से नहीं उतर पा रहे हैं।