उत्तराखण्ड; 15वें केंद्रीय वित्त आयोग के तहत पिछले वित्तीय वर्ष में जारी अनुदान का हस्तांतरण प्रमाणपत्र (जीटीसी) समय पर न देने से रोका गया 258.62 करोड़ रुपये अनुदान का रास्ता साफ हो गया है। सचिव वित्त दिलीप जावलकर के सख्त रुख के बाद स्वास्थ्य, शहरी विकास विभाग और पंचायती राज विभाग ने जीटीसी मुहैया करा दिए हैं।
जीटीसी देने से वित्त विभाग ने 131.77 करोड़ की धनराशि जारी कर दी है। केंद्र सरकार ने समय पर जीटीसी जमा न कराने से शहरी स्थानीय निकायों, पंचायती राज संस्थाओं और स्वास्थ्य विभाग की 2022-23 का अनुदान रोक दिया था।
करीब 390.39 करोड़ का अनुदान रोकने से नगरों-कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में इस धनराशि से होने वाले काम लटक गए थे। केंद्रीय वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक, टाइड और अनटाइड मद में जारी होने वाले अनुदान का 50 प्रतिशत खर्च स्वच्छता के लिए, खुले में शौच की स्थिति सुधारने, पेयजल आपूर्ति व वर्षा जल संग्रहण के काम भी खर्च होनी है।
इसके अलावा स्थानीय निकायों से शहरों व गांवों में स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूती के लिए भी अनुदान का उपयोग होना है। स्वास्थ्य विभाग को इसका नोडल बनाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, 22 मई को सचिव वित्त ने समीक्षा बैठक के दौरान स्वास्थ्य, पंचायती राज विभाग और शहरी विकास विभाग को तत्काल जीटीसी जमा कराने के निर्देश दिए। इस हिदायत के बाद जीटीसी जमा हो गए।