नैनीताल; शिक्षा विभाग ने सर्व शिक्षा के नाम पर जंगलों में 81 स्कूल बना दिए, लेकिन सुविधाएं शून्य हैं। स्कूलों में पेयजल, बिजली, फर्नीचर, शौचालय आदि की सुविधाएं तक नहीं हैं। बारिश में छप्पर और खुले आसमान के नीचे चल रहीं इन पाठशालाओं के छात्र-छात्राओं की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के मुताबिक इन स्कूलों को अब इको स्कूल के रूप में बदला जाएगा।
इसके लिए जीएमवीएन से प्रस्ताव मांगा गया है। प्रदेश में सबसे अधिक इस तरह के स्कूल नैनीताल जिले में वन भूमि पर चल रहे हैं। इसके अलावा ऊधमसिंह नगर, पौड़ी, चंपावत और चमोली जिले में भी ऐसे स्कूल चल रहे हैं। हल्की बारिश होते ही घास के छप्पर के नीचे चल रहे इन स्कूलों को बंद करना पड़ता है। छात्र-छात्राओं के लिए सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं हैं।
शिक्षा विभाग को नहीं की भूमि हस्तांतरित : स्मार्ट क्लास और कंप्यूटर तो दूर छात्र-छात्राओं के लिए पेयजल तक की सुविधा नहीं है। इसके अलावा कुछ स्कूल अस्थायी रूप से वन विभाग की चौकियों में चल रहे हैं। शिक्षा विभाग के अफसरों के मुताबिक, पक्के स्कूल भवन के लिए वन विभाग को वन भूमि हस्तांतरण के लिए कहा गया था। इसके लिए शुरुआत में वन विभाग को पांच स्कूलों के लिए पैसा भी दिया गया, पर शिक्षा विभाग को भूमि हस्तांतरित नहीं की।
शिक्षा निदेशक वंदना गर्ब्याल ने बताया कि पक्के स्कूल भवन बनाने और छात्र-छात्राओं को सुविधा उपलब्ध कराने में वन अधिनियम आड़े आ रहा है। वन विभाग के अधिकारी कहते हैं, इस तरह का कोई भी काम किया तो यह वन भूमि पर अतिक्रमण होगा।