उत्तराखण्ड; रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारियों और भू माफिया की मिलीभगत से रिकॉर्ड रूम के अंदर असली रजिस्ट्री को बदलने और गायब करने का गैंग संचालित किया जा रहा था। जनसुनवाई में कुछ मामले सामने आने के बाद जिलाधिकारी सोनिका ने जांच बिठाई तो गैंग का पर्दाफाश हुआ। जांच में सामने आया कि रिकॉर्ड रूम में असली रजिस्ट्री को बदल कर उसके स्थान पर भू माफिया अपने अनुसार फर्जी दस्तावेजों को रिकॉर्ड में शामिल करा रहे थे।
इसके चलते कई लोग अपनी पुश्तैनी जमीनों से मालिकाना हक खो चुके थे। प्रशासनिक जांच में सामने आया कि बड़े पैमाने पर फर्जी विक्रय, दानपत्र, अभिलेखों में छेड़छाड़ कर भू माफिया को लाभ पहुंचाने का खेल सालों से चल रहा था। एडीएम वित्त की ओर से जांच में पकड़े गए चारों मामलों में आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के आदेश दे दिए गए हैं।
60 बीघा जमीन की पावर आफ अटार्नी की थी : पिछले पखवाड़े में डीएम सोनिका से एक महिला ने जनसुनवाई कार्यक्रम में शिकायत कर आरोप लगाया कि उसकी पुश्तैनी जमीन के दस्तावेजों को रजिस्ट्री कार्यालय के रिकॉर्ड में ही बदल दिया गया है। इस कारण वह अपनी जमीन से वंचित हो गई है। इसी तरह एक अन्य मामले में पीलीभीत के नगरिया तहसील पूरनपुर के रहने वाले मक्खन सिंह ने दावा किया कि आईएएस रहीं प्रेमलाल ने उन्हें 60 बीघा जमीन की पावर आफ अटार्नी की थी।
इस आधार पर यह जमीन उनकी है। ऐसे कुल चार मामले संदिग्ध प्रतीत होने पर डीएम ने एडीएम प्रशासन डा. एसके बरनवाल को जांच सौंपी। जांच में उन्होंने पाया कि रजिस्ट्रार आफिस के रिकॉर्ड रूम में असली रजिस्ट्री को बदलने का खेल चल रहा है। जिल्दों में रजिस्ट्री को बदला जा रहा है।