देहरादून; जिलाधिकारी और आबकारी आयुक्त पूरे अमले के साथ शहर के एक छोर पर ओवर रेटिंग की चेकिंग कर रहे थे। लगातार चालान पर चालान किए जा रहे थे। वहीं शहर के दूसरे छोर पर ओवर रेटिंग बदस्तूर चल रही थी। सेल्समैन नकद ही नहीं बल्कि ऑनलाइन भुगतान भी एमआरपी से कहीं अधिक ले रहे थे। पटेलनगर क्षेत्र के कुछ ठेकों पर पड़ताल की। यहां बीयर और व्हिस्की के दाम 5 से 15 रुपये अधिक वसूले गए। ओवर रेटिंग पर आपत्ति जताई गई तो वही रवैया कि जहां कम मिले वहां से ले लो।
जिलाधिकारी सविन बंसल ओल्ड मसूरी रोड पर खुद ग्राहक बनकर पहुंचे थे। यहां उन्हें एक बोतल 20 रुपये महंगी दी गई। इसके बाद एक के बाद एक कई ठेकों पर चेकिंग की गई। जाहिर बात है कि इस कार्रवाई की शराब की अन्य दुकानों तक जानकारी मिल गई होगी। ऐसे में अमर उजाला की ओर से भी दो प्रतिनिधि इस पड़ताल पर पहुंचे। निरंजनपुर मंडी के पास ठेके पर पहुंचे तो व्हिस्की (रॉयल स्टैग) का अद्धा मांगा गया। यहां तक शायद कार्रवाई की खबर पहुंच चुकी थी। ऐसे में सेल्समैन ने चुपचाप अद्धे के 405 रुपये डेबिट कार्ड से काट लिए। अगले ही पल कुछ दूरी पर मातावाला बाग स्थित अंग्रेजी शराब की दुकान दुकान को चेक किया गया।
यहां इस बार कार्ल्सबर्ग बीयर कैन मांगी गई। इस बीयर कैन की कीमत यानी इस पर एमआरपी 165 रुपये थी। सेल्समैन को डेबिट कार्ड दिया गया तो उसने 180 रुपये वसूले। सेल्समैन के सामने आपत्ति जताई गई तो दुस्साहस देखते ही बन रहा था। सीधे उसने कहा जहां से सस्ती मिले वहां से ले लो। यह भी कहा गया कि कार्रवाई चल रही है। यहां भी चुप नहीं हुआ। कहने लगा जब यहां टीम आएगी देखा जाएगा। खैर जैसे तैसे सेल्समैन से इज्जत बचाते हुए शराब खरीदी और वहां से दोनों प्रतिनिधि निकल पड़े। यहां तो असर अधिकारियों की कार्रवाई का दिखा नहीं। अब देखने वाली बात यह है कि आला अधिकारियों की कार्रवाई का असर उन ठेकों पर कितने दिन रहता है जहां पर उन्होंने कार्रवाई की।