सचिव (औद्योगिक विकास) डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने यह अधिसूचना जारी की। अभी तक अवैध खनन पर पांच गुना जुर्माने का प्रावधान था। लेकिन यह आसानी से अदा नहीं हो रहा था और ऐसे प्रकरण न्यायालय में जाकर लंबे खिंच रहे थे। पिछले माह कैबिनेट की बैठक में नियमावली में संशोधनों को मंजूरी दी गई थी। संशोधनों के तहत खनन पट्टों की जांच, आकलन व सीमांकन करने के लिए अब एसडीएम की गैरहाजिरी में तहसीलदार या उपतहसीलदार भी अधिकृत होंगे। इसके लिए उन्हें खनन निदेशालय से एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
ये प्रमुख संशोधन लागू : नए संशोधन के मुताबिक, पांच हेक्टेयर के पट्टे के लिए पांच साल और पांच हेक्टेयर से अधिक के पट्टों के लिए 10 वर्ष तय की गई है। अब खनन पट्टों को ट्रांसफर करने पर सरकार शुल्क वसूलेगी। पांच हेक्टेयर के पट्टे पर दो लाख रुपये और पांच हेक्टेयर से अधिक के पट्टे पर पांच लाख रुपये शुल्क लगेगा।
फर्म के किसी सदस्य को बदलने पर भी दो लाख रुपये शुल्क लगेगा। अभी तक खनन पट्टों के आशय पत्र शासन स्तर से आवंटित होते थे। लेकिन अब यह अधिकार महानिदेशक खनन को दे दिया गया है। अनुमति मिलने के बाद ही पट्टे की अवधि शुरू होगी। अवैध खनन करने वालों से पांच गुना जुर्माना वसूलने के बजाय अब इसे घटाकर दो गुना कर दिया गया है। दूसरी बार पकड़े जाने पर यह तीन गुना होगा और इसके बाद यह तीन गुना ही रहेगा।